राम सीता विवाह पञ्चमी – Jaleshwortoday

राम सीता विवाह पञ्चमी

 १९ मंसिर २०८१, बुधबार २३:३६  
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पृृष्टभूमि
परिभाषा में संस्कृती
संस्कृती एक समाजिक ब्यभार आउर रितीरिवाज हे । मूलत ः संस्कृती के शाब्दिक अर्थ में परिशोधन, परिमार्जन करनाई रहल हे । यथार्थ में शुध्दिसुधार रहन सहन आउ सफाई करनाई संस्क्ृती रहल हो । संस्कृती धर्म एक दोसर के पुरक हे ।
नेपाल देश में बहुसांस्कृतीक, बहुधार्मिक आउ बहृजातिय में भिन्न भिन्न धार्मिक,सांस्कृती, आउ अन्य बिबिधता से भरल पुरल देश हे । ई जग में बहुत सा जात जाती के संस्कृतीे जग में भिन्न भिन्न संस्कार संस्कृती सब बडहल पोसल पलल हे ।
धर्मीकदृष्टीकोेण से उत्पत्ती भेल । मान्तारहल रामसीता विवाह महोत्सव, शन्दर्भ में नेपााल जनकपुरधाम के पावन भूमिपर जानकी मन्दिर सनातन हिन्दु स्थान के रुप में रहल । प्रख्यात देखल सुनल पाईत जाहे । आउर अलग पहचान हे । नेपाल के ७७ जिला के भिन्न भिन्न कोना काप्चा में रहल । बिबिध मठ,मन्दिर सब अपन अपन स्थान में अलग महोत्व रहल हे ।

प्रशंग श्री राम अवतार ः
ब्रहमाण्ड नायक शाकेताधिश प्रभु श्री राम भतmसब के मनोरथ पुरा करे अयोध्याके चक्रवर्ति साम्राट राजादशरथ जी के घर नन्दन रुप में चारभाई सहि अवतरित भेल हथ । एकटा स्तुती हे ।
भयप्रगटकृ्रपाला दिनदयाला कौशल्याहितकारी
मुनि मनहारी अदभुतरुप निहारी लोचन अभिरामा ।
तनधनश्यामा निजयुध भुजचारी भूषण बनमाला
नयनबिशाला शोभासिद्धुखरारी कहदुहुँकरजोरी ।।

स्तुतितोरी केहि बिधि करौंअनन्ता मयागुणज्ञानानीत
अमानावेदपुराणा भवन्ता ।। क्रुणसुखसागर सबगुण आगर
ज्यहिंगावहि श्रुतिसंता ।। सो ममहितलागी जनअनुरागी प्रगटभये श्रीकंंता ।।

ब्रहमाण्डनिकाया निर्मितमाया रोम रोम प्रति वेद कहे ।
ममउरसोबासी यहउपहासी सनतधीर मतिथिरनरह
उपजाजबज्ञाना प्रभुमुसकाना चरितबहुत विधिकीन्ह
चहकहि कथासनाई मातुबुझाई जेहि प्रकार सुतप्रेमलहै ।

ई स्तुती तुल्सीकृत रामायण के पेज नंं.१०० से लेल गेल ह । स्तुति के संक्षिप्त अर्थ दिनदयाल कृपालु प्रगट भेल हथ । कौशल्या माय अदुभुतरुप देख खुशीबस रुपदेख बर्णन्न केलेहथ प्रभु के मनमोहकरुप, श्यामबर्ण चारभुजा(हाथ) शंख,चक्र,गदा,पद्धम सहित कमल जेहन दुटा आँख रहल हे । हमरा उपर दयकरि हे लक्ष्मी पति प्रगट रामचन्द्र जी हँसैत माय कौशिल्या के सम्झा बुझा कहलथ हमरा बालक –बेटा रुप के प्रेम देही । हम ईहे में खुशी रहब साथे सबके कल्याण होयत ।

धिरेधिर समय बितैत गेल । एकदिन अचानक महर्षिविश्वामित्र जी अयोध्या के चक्रबर्तिसाम्राट
राजा दशरथ जी के दरबारमें आईल आउर राजा से कहलथ महर्षि सब के यज्ञ रक्षार्थ श्री राम चन्द्र जी के माँग केलथ महर्षि विश्वामित्र जी के बच्चन नईकाईट अयोध्या के चक्रबर्ति राजा दशरथ जी अपन नन्दन श्री राम चन्द्र के साथ लक्ष्मण जी समेत के साथ लगा देलथ समय समय में बिबिध धटना क्रम सब आईल समय ब्यत्तित होत एकसमय एहन आयल ।

प्रशंग सीता स्वयंम्बर ः
बिदेह राजामहर्षि जनक जी अपन बेटी जानकी,सीता के बिबाह करेके बिचार में भिन्न भिन्न देश सब के राजा,रजबार ,महराजा सब लगाईत मुनी महात्मा सहित के स्वयम्बर में भागलेब निमन्त्रणा केलथ । संगे महर्षि विश्वामित्र केभी बिशेष रुप में निमन्त्रणा केलथ महर्षि विश्वामित्र अपने सहीत शिष्य श्रीराम चन्द्र आउ लक्ष्मण सहित ।

बिदेह राजा महर्षि जनक जी के दरबार में पहुचलथ ई जगहपर भिन्न भिन्न देश के राजा महराजा संगे भिन्न महर्षी जी सब समेत निमन्त्रणा तहत सीता स्वयंम्बर में भागलबे खातिर आयल स्वयम्बर मे शिष्य सहीत अपन आसन स्थानग्रहण महर्षि विश्वामित्र केलथ बिदेहराजा महर्षि जनक जी सभा में घोषणा केलथ अइठाम रहल शिबधनुष में जे सबप्रथम प्रतन्चा चढाइत ओकरा संग हम अपन बेटी सीता के स्वयम्बर करब ।

भिन्न देश के राजा सब अपन पोरखीबल प्रस्तु केलेहथ लेकीन धनुषतोर की हिलाबहु नइ सकल ईहे प्रसंगम एकटा दोहा हे ।

भुप सहसदश एकहिबारा लगे उठावन टरै न टारा ।।
१।। डगै न शम्भुशरासन कस काभी बचन सती मन जैस ।।२।।

ब्याख्या सारसंक्षेप भिन्न देश के हजारौं र।जा सब एके बाजी मिलजुइल धनुष के उठाब चाहलन राजाजनक जी अईपर आपत्ती जनाउलेन ई पंन्ति सटीक तुल्सीकृत रामायण के पेज नम्बर २३७ के ७ हर्प से लेले ही । महर्षि विश्वामित्र जी के आदेशातहत श्रीराम चन्द जी शिबधनुष में प्रतन्चा चढा धनुष तिन टुक्रा में बिभाजन (खण्डीत) भ आकाश, पताल, आउर एक खण्ड पृथ्वी में रहे के कारण बर्तमान में ई जगह कें धनुषाधाम के धनुष क्षेत्र नाम से जानल बुजहल आउ प्रख्यात रहल कारण ई जगह पर प्रतेक बर्ष माघ महिना के रइब दिन मकर मेला लाग के प्रम्परा रहल हे ।

प्रसंग जानकी मन्दिर ः
बिक्रम सम्बत १९५२ तदअनसार ई.सम्बत १८९४में भारत मध्य प्रदेश टिकमगढ निबासी ततकालिन महराज के धर्मपत्नी महरानी श्री वृष भान कुँवरी द्धारा ४८६० वर्ग फिट में श्री जानकी मन्दिर निर्माण केलेहथ ।

ओई समय के मुद्रा (रुपैया) नौ लाख लगल कारण दोसर नाम नौ लखामन्दिर भी कहल जाहे ठेकान जिला धनुषा जनकपुर उप महा नगरपालिका वार्ड नं.७ मधेश प्रदेश बर्तमान में जानकी मन्दिर से तिन किलो मिटर उत्तर जनकपुरधाम उप महा नगरपालिका वार्ड नम्बर १३ रानी बजार में रहल मणिमण्डप ।

प्रसंग प्राचिन सीता राम विवाह मणिमण्डप ः

मणिमण्डप स्थान जगंल रुप में परिणत भ माटी के ढिस्का गढी जेहन देखलागल बर्तमान में पुजारी श्री बासुदेब दास बैष्णब के पुर्खा ई स्थान के नजिक में कुछ समय पहिले बास स्थान बना बैस लागल श्री बासुदेब दास बैष्णब के बावु जुगेश्वर राउत के माँजानकी, (सीता)जी सपना में आईब स्थान देखबैत कहले हथ की ई स्थान हमर बिबाह स्थल मणिमण्डप मरबा आउर बेदी के जगह ह । आई के समय में ई स्थान जानकी मन्दिर के अधिन में रहल होईतो इ मणिमण्डप के अधिन, स्वामित्य में १८.५ बिघा जमिन रहल हे ।

ई प्राचिन सीता राम बिबाह मणिमण्डप पर मुनी महात्मा सब के एकटा स्लोक हे ।

कनकमण्डपहीअकथमहातम। कवनहुँ तीर्थ देबतानही सम ।। दुल्ही सिय दुल्हा भगवाना जेहीमण्डप उत्सबभए नाना का काँह सक तहा के धमा । मुर्ति जहा थपे विश्वकर्मा ।।
यदी धोखह बस दर्शनपाबे पाप जाती शाकेत सिधाब
उलेख दोहा के अर्थ जनकपुरधाम में यात्रा करेबला सब महान भाब सब ई पावन स्थल में आईब दर्शन केलापर जिवन शार्थक बनत सीतारामविबाह मणिमण्डप रामायण में लिखल तहत त्रेता यूग में भगवान राम सीता के बिवाह आयोजना भेल बात लिखल गेल हे । ईहे तहत पूर्व समय से अयोध्या आउर जनकपुरधाम सम्बन्ध बरकरार रहल ।
वर्तमान के समय में जनकपुरधाम जानकी मन्दिर ओर से समय समय में तरह तरह के सनेस कपडा सब भार के रुप में अयोध्या जारहल हे । प्रत्यक पाँच बरिश में अयोध्या राम जन्म भूमि मीन्दर से बडर महात्मा संगे अन्य बडर लोक सब बराति सायज भव्यता के साथ जनकपुर धाम आबेके प्रथा बनल हे ।
ईहे तरह अई साल २०८१ अगहन २१ गते तारिक ०६ डिसम्बर २०२४ के दिन विवाह मोहत्व सब में भाग लेब खातिर साल २०८१ अगहन १९ गते तारिक ०४ डिसम्बर २०२४ के दिन जीला महोत्तरी गाउँ पालिका पिपरा में बराती सब के स्वागत आउर खाना नास्ता के व्याकप्रबन्ध केल गेल हे ।
ब्रियाती सब के अगुवानी करे जनकपुर उपमहानगरपालिका प्रमुख श्री मनोज कुमार साह जी लगायत बहुत बडर लोक संगे मुनि महात्मा सब पहुचल हथ । साझ में तिलक देब के कार्यक्रम रहल आउर सब बरियाती सब के रह खाय के जनकपुर धाम में भरपुर व्यवस्था केल गेल हे । साल २०८१ अगहन २०गते तारिक ०५डिसम्बर २०२४ के दिन मटकोर जीला धनुषा गाम सखुबा मरान में मटकोर सेहो कुछ समय से होरल हे ।
साल २०८१ अगहन २१गते तारिक ०६डिसम्बर २०२४ के दिन बारहबिगहा रंगभूमि मैदान में स्वयम्बर के लेल सरसफ संगे दुलहीन के तरह सजायल गेल हे । बिवाह पञ्चमी मेला में आगन्तुक भक्तजन कुनो किसीम के असुबिधा नई होब देब बिभिन समाजिक संध संस्था सब गास,बास, आउर दब्बा के सेहो ब्यवस्था केल गेल हे । संगे स्थानिय प्रसासन द्धार जनधन सुरक्षा के भरपुर ध्यान देने हथ । अन्त में सब के सहयोग आउर भाईचारा बनल रहे से हमर सादर अनुरध हे ।
भुवनेश्वर महतो कोईरी
मगही भाषा संयोजक